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शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

२४५.गुठली




चूसकर फेंकी गई जामुन की एक गुठली 
नरम मिट्टी में पनाह पा गई,
नन्ही-सी गुठली से अंकुर फूटा,
बारिश के पानी ने उसे सींचा,
हवा ने उसे दुलराया.

धीरे-धीरे एक पौधा,
फिर पेड़ बन गई 
जामुन की वह छोटी-सी गुठली,
चूसनेवाले बेख़बर रहे.

अब हज़ारों-लाखों जामुनों से,
लदा है यह विशाल पेड़,
आ पहुंचे हैं पेड़ के आस-पास
अब फिर से वही लोग,
जिन्होंने कभी जामुन को चूसकर 
बेरुख़ी से कहीं फेंक दिया था. 

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-01-2017) को "लोग लावारिस हो रहे हैं" (चर्चा अंक-2586) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

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  2. आपकी रचना बहुत सुन्दर है। हम चाहते हैं की आपकी इस पोस्ट को ओर भी लोग पढे । इसलिए आपकी पोस्ट को "पाँच लिंको का आनंद पर लिंक कर रहे है आप भी कल रविवार 29 जनवरी 2017 को ब्लाग पर जरूर पधारे ।

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  3. और सिलसिला जारी रहेगा । बहुत सुंदर !

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  4. किसी का फेंकना भी कभी कभी सृजन बन जाता है ... प्राकृति को रोकना आसान नहीं ...

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